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खालिस्तान को खुला समर्थन, मूसेवाला की हत्या; भारत विरोधी 9 आतंकी संगठनों का पनाहगाह है कनाडा

कनाडा खालिस्तानी समर्थकों का गढ़ बन चुका है। सबसे ताज्जुब की बात तो यह है कि इसे वहां राजनीतिक समर्थन भी मिला हुआ है। इतना ही नहीं, यह भारत के कहने पर किसी के खिलाफ ऐक्शन तक नहीं लेता है।

Deepakलाइव हिंदुस्तान,ओट्टावाTue, 19 Sep 2023 10:23 PM
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कनाडा और भारत के बीच संबंधों में खिंचाव बना हुआ है। इसकी जड़ में है कनाडा में मिल रहा खालिस्तानी अलगाववादियों को समर्थन। जानकारी के मुताबिक कनाडा में कम से कम नौ अलगाववादी संगठन है, जिसके खिलाफ वहां ऐक्शन नहीं लिया रहा है। इन संगठनों ने मूसेवाला की हत्या समेत कई संगीन अपराधों को अंजाम दिया है। भारत सरकार ने कई बार कनाडाई सरकार से इन तमाम अपराधियों को डिपोर्ट करने की गुजारिश की है। लेकिन इस दिशा में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है। 

कई बड़े संगठन
अधिकारियों के मुताबिक इन संगठनों में वर्ल्ड सिख ऑर्गनाइजेशन (डब्लूएसओ), खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ), सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) और बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) कुछ प्रमुख नाम हैं। यह सभी यहां पाकिस्तान की शह पर कनाडा की धरती से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि भारत सरकार ने वांटेड टेररिस्ट्स और गैंगस्टर्स को सौंपने का मुद्दा कई बार कनाडा सरकार के सामने उठा चुकी है। विभिन्न राजनयिक और सुरक्षा बातचीत के दौरान यह मांग की गई, लेकिन इन टेरर एलीमेंट्स को भारत को सौंपने के बजाए कनाडा की सरकार उनके समर्थन में रहती है। इतना ही नहीं, भारत की तरफ से कनाडा कोई इस संबंध में कई डोजियर भी सौंपे जा चुके हैं। लेकिन इन भी कनाडा की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया गया। 

इंटरपोल नोटिस भी पेंडिंग
एक अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान की आईएसआई के साथ मिलकर साजिश रचने वाले और आतंकी घटनाओं में शामिल आठ व्यक्तियों को कनाडा की धरती पर पनाह मिली हुई है। अधिकारियों ने बताया कि 1990 की शुरुआत में आतंकी घटनाओं में शामिल रहे गुरुवंत सिंह के डिपोर्टेशन का मामला अभी तक पेंडिंग है। इतना ही नहीं, उसके खिलाफ एक इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस भी पेंडिंग है। इसी तरह आतंकी मामले में शामिल गुरप्रीत सिंह के खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श दल्ला 16 आपराधिक घटनाओं में वांटेड है। सतिंदरजीत सिंह बरार उर्फ गोल्डी बरार, जिसने की पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी ली, लेकिन कनाडा सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया। 

खुलेआम चलता है अलगाववादी एजेंडा
कनाडा की धरती से अलगाववादी संगठन खुलेआम भारत में एजेंडा चला रहे हैं। यह लोग धमकियां दे रहे हैं और टारगेट किलिंग को अंजाम दे रहे हैं। कुछ अन्य वांटेड में खालिस्तान की दशमेश रेजीमेंट का गुरुवंत सिंह बाथ, पाकिस्तान बेस्ड आतंकी लखबीर सिंह रोड़े का बेटा भगत सिंह बरार, मोनिंदर सिंह बुआल, सतिंदर पाल सिंह गिल आदि शामिल हैं। अधिकारियों ने यह भी बताया कि कनाडा में अलगावादियों और गैंगस्टर्स को समर्थन की जड़ें राजनीति से जुड़ी हुई हैं। यह विभिन्न सिख बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों में बड़ा वोट बैंक हैं। इतना ही नहीं, बर्नाबी दक्षिणी से सांसद जगमीत सिंह बालीवाल खुलेआम खालिस्तानी समर्थकों के पक्ष में बोलता है। वह कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी में है।

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